भारत-रूस समझौता: Pantsir वायु रक्षा प्रणाली का संयुक्त निर्माण
भारत और रूस ने Pantsir वायु रक्षा मिसाइल-गन प्रणाली के संयुक्त निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया है, जो भारत के आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) पहल को रक्षा क्षेत्र में मजबूत करता है। यह समझौता भारत की भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (ROE) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर के माध्यम से किया गया।
समझौते के मुख्य बिंदु
हस्ताक्षरकर्ता:
BDL के CMD, Cmde A. माधवराव (Retd)
रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के Mr. कोवालेनको जर्मन
संदर्भ:
यह समझौता गोवा में आयोजित 5वीं भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC) उपसमूह बैठक के दौरान किया गया।
उद्देश्य:
‘Make in India’ कार्यक्रम के तहत भारत में Pantsir वायु रक्षा मिसाइल-गन प्रणाली का निर्माण करना।
रणनीतिक महत्व:
यह सहयोग द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूत करता है और भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाता है।
संयुक्त निर्माण:
ध्यान रूस से आए रक्षा उपकरणों के लिए स्पेयर पार्ट्स, घटक और एग्रीगेट्स का निर्माण करने पर होगा।
Pantsir वायु रक्षा प्रणाली के विवरण
घटक:
एक मिसाइल लॉन्चर, रडार ट्रक और कमांड पोस्ट।
डिजाइन किया गया है:
विमान, हेलीकॉप्टर, UAVs, सटीक शस्त्रास्त्रों और क्रूज मिसाइलों के खिलाफ बिंदु वायु रक्षा प्रदान करने के लिए।
मुख्य विशेषताएँ:
मिसाइल रेंज: 20 किमी तक और अधिकतम ऊँचाई 15 किमी।
गति: मिसाइल 1,300 मीटर/सेकंड की गति तक पहुंचती हैं।
गन: 30 मिमी के दो ऑटो-कैनन, जो 4 किमी की रेंज के साथ ड्रोन जैसे कम ऊँचाई वाले खतरों को इंटरसेप्ट करने के लिए।
वर्तमान उपयोग:
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस के राष्ट्रपति पुतिन को ड्रोन हमलों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण।
अंतर्राष्ट्रीय मांग:
यह प्रणाली अल्जीरिया, यूएई, इराक, सीरिया और अन्य देशों द्वारा उपयोग की जाती है।
भारत-रूस रक्षा सहयोग पर प्रभाव
दीर्घकालिक संबंध:
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग शीत युद्ध के समय से है, और भारत के 60-70% सैन्य उपकरण रूस से आए हैं।
मुख्य परियोजनाएँ:
S-400 प्रणाली: 5 स्क्वाड्रन का आदेश; 3 का वितरण किया गया, शेष 2 2026 तक अपेक्षित हैं।
गाइडेड मिसाइल युद्धपोत: दो जहाजों में से पहले जहाज का वितरण नवंबर के अंत तक होगा।
AK-203 राइफल्स और ब्रह्मोस मिसाइलें: भारत में संयुक्त उत्पादन।
T-90 टैंक और Su-30 MKI: लाइसेंस प्राप्त उत्पादन।
भविष्य की दिशा:
Pantsir समझौता भारत के रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है और आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत स्वावलंबन को बढ़ाता है।
रूस-भारत रक्षा संबंध
भारत के सैन्य उपकरणों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की नींव रूस-भारत रक्षा संबंधों में निहित है।
रूस से प्रौद्योगिकी की निरंतर पहुंच भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करती है।
जैसे Pantsir समझौते जैसी साझेदारियां भारत की रक्षा स्वावलंबन को बढ़ावा देती हैं।
सारांश/स्थिर जानकारी
विवरण | जानकारी |
क्यों चर्चा में है? | भारत और रूस मिलकर पैंटसिर वायु रक्षा मिसाइल-गन प्रणाली का संयुक्त उत्पादन करेंगे। |
हस्ताक्षरकर्ता | भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और रोसोबोरोनेक्सपोर्ट (ROE)। |
घटना का संदर्भ | गोवा में 5वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC) उपसमूह बैठक के दौरान MoU पर हस्ताक्षर किए गए। |
उद्देश्य | भारत के ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत पैंटसिर प्रणाली का निर्माण करना। |
पैंटसिर प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ | – घटक: मिसाइल लॉन्चर, रडार ट्रक, और कमांड पोस्ट। – मिसाइल रेंज: 20 किमी तक, 15 किमी तक की ऊँचाई। – गति: मिसाइलें 1,300 मीटर/सेकंड की गति से तेज़-तर्रार लक्ष्य को इंटरसेप्ट कर सकती हैं। – तोपें: 30 मिमी ऑटो-कैनन, जो ड्रोन जैसे निम्न-ऊँचाई वाले खतरों को नष्ट करने में सक्षम हैं। |
रणनीतिक महत्व | भारत की रक्षा स्वनिर्भरता को बढ़ावा देता है और भारत-रूस रक्षा संबंधों को मजबूत करता है। |
ऐतिहासिक संदर्भ | भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का लंबा इतिहास है; भारत के 60-70% सैन्य उपकरण रूस के मूल हैं। |
रूस के साथ संयुक्त परियोजनाएँ | – S-400 मिसाइल प्रणाली, T-90 टैंक, Su-30 MKI, AK-203 राइफल, ब्रह्मोस मिसाइल। – सैन्य उपकरणों और प्रौद्योगिकी का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन। |
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